प्रधानमंत्री रोज़गार योजना-उद्योग

उद्देश्य-शिक्षित बेरोज़गार युवकों को स्वयं का उद्योग/सेवा/व्यवसाय स्थापित करवाकर स्वरोज़गार उपलब्ध करवाना।

योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- इस योजना में शिक्षित बेरोज़गारों को सभी आर्थिक रूप से योग्य गतिविधियों, जिसमें कृषि और सहायक गतिविधियाँ भी शामिल होती हैं, उनके लिये ऋण स्वीकृत किया जाता है। सीधे कृषि क्षेत्र में जैसे फसलों की खेती, खाद की खरीदी आदि गतिविधियों के लिये ऋण इस योजना में नहीं दिये जाते हैं।

सेवा/व्यवसाय क्षेत्र में रुपये 2.00 लाख तक व उद्योग क्षेत्र में रुपये 5.00 लाख तक कम्पोजिट प्रकृति का ऋण स्वीकृत किया जा सकता है। यदि परियोजना संचालन के लिए दो या दो से अधिक पात्र व्यक्ति संयुक्त रूप से साझेदारी योजना में एवं स्व-सहायता समूह में सम्मिलित होते हैं तो अधिकतम परियोजना लागत रुपये दस लाख हो सकती है। अनुदान योजना लागत का 15 प्रतिशत अधिकतम 12500/- प्रति हितग्राही होता है। स्व-सहायता समूह में प्रति हितग्राही रुपये 15000/- से 1.25 लाख होता है। बैंकों द्वारा हितग्राही से योजना लागत के पाँच प्रतिशत से लेकर 16.25 प्रतिशत तक के अंशदान की मांग की जा सकती है। जिससे बैंकों द्वारा योजना लागत में चाहा गया अंशदान और अनुदान का योग योजना लागत के बीस प्रतिशत के बराबर बनता हो। रुपये 5 लाख तक की योजना पर कोई धरोहर प्रतिभूति नहीं ली जाती है।

ऋण पर सामान्य बैंक ब्याज दर ली जाती है। निर्धारित छ: से 18 महीने के प्रारंभिक स्थगन के बाद ऋण की अदायगी तीन से सात वर्ष की अवधि में जरूरी होती है। योजना में चयनित शिक्षित बेरोजगार को 10-15 दिवस का का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। प्रशिक्षण उपरांत ही ऋण वितरण की कार्यवाही की जाती है। प्रशिक्षण के दौरान रुपये 375/- से 750/- रुपये तक की छात्रवृत्ति का प्रावधान है। योजना मध्यप्रदेश के सभी जिलों में लागू है।

पात्र हितग्राही- आवेदक की आयु 18 वर्ष से कम तथा 35 वर्ष से अधिक न हो। केवल अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, भूतपूर्व सैनिक, शारीरिक रूप से विकलांग और महिला आवेदकों को अधिकतम आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट रहती है।

आवेदक कम से कम आठवीं कक्षा उत्तीर्ण हो। उन आवेदकों को प्राथमिकता दी जाती है जिन्होंने शासन द्वारा मान्यता प्राप्त/अनुमोदित संस्थाओं से कम से कम छह माह का ट्रेड प्रशिक्षण प्राप्त किया हों। आवेदक के परिवार की वार्षिक आय रुपये 1.00 लाख से अधिक न हो। आवेदक उस क्षेत्र का कम से कम तीन वर्ष से स्थायी निवासी हो।

आवेदक किसी राष्ट्रीयकृत बैंक/वित्तीय संस्था/को-ऑपरेटिव बैंक का डिफाल्टर न हो। ऐसा व्यक्ति जो शासन की अनुदान संबंधित योजना का पूर्व में लाभ ले चुका हो, इस योजना के लिए अयोग्य होता है।

योजना का लाभ देने में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग एवं महिलाओं को आरक्षण का प्रावधान है।

हितग्राही चयन प्रक्रिया- जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्रों में प्राप्त आवेदन-पत्रों पर जिला स्तरीय टास्क फोर्स समिति विचार कर चयनित प्रकरणों को राष्ट्रीकृत बैंकों को अनुशंसित करती है।

योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया- स्थानीय समाचार-पत्रों में विज्ञापन देकर अथवा मैदानी अधिकारियों द्वारा प्रचार-प्रसार करवाकर जिला उद्योग केन्द्र में निर्धारित प्रारूप पर आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं।

दीनदयाल रोजगार योजना

उद्देश्य-प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार युवक/युवतियों को उद्योग/सेवा/व्यवसाय के क्षेत्र में स्वरोजगार स्थापना के लिये बैंकों/वित्त संस्थाओं द्वारा दिये जाने वाले ऋण के विरुद्ध अपेक्षित मार्जिन मनी को जमा करने में सहायता करना है।

पात्रतामध्यप्रदेश के मूल निवासी वे आवेदक जिनकी आयु 18 से 40 वर्ष के मध्य है, 10वीं कक्षा या आई.टी.आई. उत्तीर्ण हैं, परिवार की समस्त स्त्रोतों से वार्षिक आय 1.50 लाख से अधिक नहीं है, रोजगार कार्यालय में जीवित पंजीयन है, योजना के लिये पात्र हैं।

मार्जिन मनी सहायता- बैंक/वित्त संस्था द्वारा/स्वीकृत परियोजना लागत का उद्योग क्षेत्र में 10 प्रतिशत अधिकतम रुपये 40000/- सेवा क्षेत्र में 7.5 प्रतिशत अधिकतम रुपये 15000/- एवं व्यवसाय क्षेत्र में पाँच प्रतिशत अधिकतम रुपये 7500/- मार्जिन मनी स्वीकृत की जा सकती है। वे आवेदक जिनकी शैक्षणिक योग्यता स्नातक या अधिक है उन्हें उद्योग के लिये अधिकतम रुपये 50000/- एवं सेवा क्षेत्र के लिये रुपये 25000/- की पात्रता होगी। मार्जिन मनी सहायता हितग्राही द्वारा लगाई जा रही योजनान्तर्गत 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। तकनीकी संस्थाओं व उद्यमिता विकास कार्यक्रम में प्रशिक्षित आवेदक, महिला आवेदक, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार की सर्वे सूची में अंकित एवं औद्योगिक गतिविधियों की स्थापना करने वाले हितग्राहियों को प्राथमिकता दी जायेगी। उद्योग के अंतर्गत प्रशिक्षण हेतु प्रति हितग्राही रुपये 700/- प्रशिक्षण संस्था को तथा रुपये 300/- छात्रवृत्ति के रूप में हितग्राही को और सेवा क्षेत्र एवं व्यवसाय में प्रशिक्षण पर रुपये 350/- प्रशिक्षण संस्था को तथा रुपये 150/- छात्रवृत्ति हितग्राही को देने का प्रावधान है।

आवेदन की प्रक्रिया- नि:शुल्क आवेदन पत्र हितग्राही संबंधित जिले के जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र को प्रस्तावित गतिविधि की प्रोजेक्ट प्रोफाइल/योजना की प्रति के साथ प्रस्तुत करेंगे।

रानी दुर्गावती अनु. जाति/जनजाति स्वरोजगार योजना

स्वयं का उद्योग सेवा एवं व्यवसाय प्रारंभ करने के लिये वित्तीय संस्थाओं द्वारा ऋण प्रदान किया जाता है। हितग्राहियों को स्वरोजगार में स्थापित होने के लिये स्वयं मार्जिन मनी लगाना पड़ती है, वे यह राशि लगाने में असमर्थ होते हैं। उस स्थिति में उन्हें मार्जिन मनी के रूप में सहायता प्रदान की जाती है।

हितग्राही की पात्रता एवं प्राथमिकता- इस योजना के अंतर्गत राज्य के अनुसूचित जाति/जनजाति के हितग्राही पात्र होंगे। आवेदक 1. म.प्र. का मूल निवासी हो। 2. उम्र 18 से 50 वर्ष हो। 3. किसी शासकीय/मान्यता प्राप्त विद्यालय से कम से कम 5वीं कक्षा उत्तीर्ण हो। 4. राज्य शासन का बेरोजगारी भत्ता प्राप्त आवेदक, तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग की बहुउद्देश्यी इंजीनियर योजनांतर्गत प्रशिक्षित आवेदकों को प्राथमिकता रहेंगी। 5. परिवार की वार्षिक आय रुपये 3.00 लाख से अधिक न हो।

योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया- स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर अथवा मैदानी अधिकारियों द्वारा प्रचार-प्रसार करवाकर जिला उद्योग केन्द्र में निर्धारित प्रारूप पर आवेदन पत्र आमंत्रित किये जाते है।

मार्जिन मनी पात्रता- योजनान्तर्गत कुल स्वीकृत परियोजना लागत का 30 प्रतिशत या रुपये 15 लाख जो भी कम हो तक मार्जिन मनी अनुदान के रूप में उपलब्ध कराई जाती है। हितग्राही को प्रशिक्षण हेतु भी सहायता दी जाती है।

 

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