कृषक उद्यमी योजना को अन्य प्रदेशों में भी क्रियान्वित करने की आवश्यकता

नीति आयोग कृषक उद्यमी योजना का करवायेगा गहन अध्ययन
मुख्यमंत्री श्री चौहान से मिले नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने आज मंत्रालय में सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष श्री चैतन्य काश्यप, किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन, ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन और मुख्य सचिव श्री बी.पी. सिंह भी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में कृषकों की आमदनी को बढ़ाने और कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने तथा उद्योगों की स्थापना के लिये कृषकों को प्रोत्साहित करने के लिये कृषक उद्यमी ऋण योजना के बारे में बताया कि इस योजना में 15 प्रतिशत सब्सिडी, सात साल तक पाँच प्रतिशत ब्याज अनुदान और बैंक गारंटी सरकार द्वारा दी जाती है। योजना में 10 लाख से दो करोड़ रूपये तक ऋण दिये जाने का प्रावधान है। योजना के तहत इस वर्ष 3 हजार औद्योगिक इकाईयां स्थापित करवाने का प्रयास किया जायेगा।

श्री चौहान ने बताया कि किसानों की कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिये सिंचाई साधनों का विस्तार तेजी से किया गया है। पिछले करीब डेढ़ दशक में सिचिंत क्षेत्र साढ़े सात लाख से बढ़कर 40 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसे 80 लाख हेक्टेयर तक ले जाया जायेगा, तब राज्य का लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र सिचिंत होगा। उन्होंने कहा कि उत्पादकता बढ़ने के साथ ही किसान को फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिये राज्य ने भावांतर भुगतान योजना बनाई है। यह योजना सरकार और किसान दोनों के लिये उपयोगी है। इससे किसान को फसल का वाजिब मूल्य मिलता है और उपार्जन प्रक्रिया पर होने वाले व्यय की बचत भी होती है। इस योजना के तहत अभी 25 लाख मीट्रिक टन फसल का भावांतर राशि भुगतान किया गया है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने मध्यप्रदेश शासन की कृषक उद्यमी योजना की सराहना की। उन्होंने इस योजना को देश के अन्य प्रदेशों में भी क्रियान्वित करने की आवश्यकता बतायी। डॉ. कुमार ने कहा कि इस योजना का नीति आयोग द्वारा गहन अध्ययन करवाया जायेगा। उन्होंने बताया कि सहकारी संघवाद की संकल्पना को अस्तित्व में लाने के लिये राज्य विशेष की आवश्यकताओं, समस्याओं और संसाधनों के आधार पर योजनाओं का निर्माण किया जाना आवश्यक है। राज्यों की विशिष्टताओं के अध्ययन के लिये देश के सभी राज्यों का वे भ्रमण कर रहे हैं। उन्होंने आयोग द्वारा प्रस्तावित योजनाओं और संकल्पनाओं पर भी चर्चा की।

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