चीन, पाक से लड़ सकते है एक साथ!

क्या यह बात आम भारतीय के जहन में बनती है? नहीं। पर अब बना लेना चाहिए। इसलिए कि थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पिछले सप्ताह भारत की इस ताकत, क्षमता का जो ढंका पीटा उसे दुनिया की राजधानियों में व इस्लामाबाद- बीजिंग में खास तौर पर नोट किया गया होगा। जान ले अग्नि मिसाइल की सीरिज के भारत के जो टेस्ट है उससे चीन के दूरदराज के तमाम बडे शहर कवर हो गए है। चीन के सभी शहरों पर भारत एटमी मिसाइले दाग कर उन्हे तबाह कर सकता है। अपने अग्नि प्रक्षेपास्त्रों से हम पाकिस्तान और चीन दोनों को तबाह कर सकते है।

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वे भारत के शहर तबाह करेंगे और हम भी दोनों के। भारत के ये दो दुश्मन मिलकर हमला करें तब अपनी सेना दोनों दिशाओं में न केवल लडेगी बल्कि दुश्मन को तबाह कर देगी। सो समझ सकते है कि जनरल रावत की बात हौसला बनाने वाली है। उनका यह वाक्य गजब है कि भारत की सेना ने अब चीन के आगे अपने को दुश्मन का हमला रूकाने की मोर्चेबंदी की जगह ‘क्रेडिबल डेटेरेंस’ की पोजिशन अख्तियार कर ली है। जाहिर है चीन दस बार सोचेगा भारत से लडने से पहले!

इस सबसे दुनिया में सामरिक विशेषज्ञ भारत के तेंवर बूझ रहे है। अपन इसे नागरिकों में हौसला बढ़ाने, बाहुबली की हवा बनाने की कवायद मानते है। सिंतबर 2016 में पाक अधिकृत कश्मीर के भीतर सर्जीकल आपरेशन के बाद देश-दुनिया में मैसेज बना है कि मोदी सरकार ने सेना को छूट दी है। जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में भारत-पाक की नियंत्रण रेखा पर दोनों तरफ की गोलीबारी और कश्मीर घाटी में आंतकियों को खत्म करने के आपरेशन के अंदाज ने माहौल बना दिया है कि भारत अब छोड़ेगा नहीं। थल सेना प्रमुख जनरल रावत के एक के बाद एक बयान और एयर चीफ मार्शल धनोहा का अपने 12 हजार अफसरों को शॉर्ट नोटिस पर लड़ाई के लिए तैयार रहने का खत व उधर पाकिस्तान में वहा की वायु सेना का आपरेशन मोड में आना प्रमाण है कि टीवी चैनलों के वॉर रूम ही नहीं बल्कि इस्लामाबाद- नई दिल्ली में सेनाओं के वॉर रूम भी तैयारी के मोड में है। भारत की टीवी चैनलों पर और दोनों तरफ से सेना के जारी हो रहे वीडियों सबूत है कि न झिझकेगे, न थमेगे और नौबत आई तो मजा चखाएगें और भारत की तैयारी है कि चीन कूदा तो उसे भी भारत की सेनाएं औकात बता देगी।

अपना मानना था, है और रहेगा कि पाकिस्तान न सुधरेगा, न डरेगा और न कश्मीर घाटी में शांति बनने देगा। पिछले सप्ताह अपने टीवी चैनलों में अस्ताना की बहुपक्षीय बैठक में नवाज शरीफ के कानों में सेना अधिकारी की कानाफूसी को ले कर यह बहस की कि नवाज शरीफ सेना के कठपुतली है। क्या बेवकूफी भरी बहस थी! मानों पहली बार प्रकट हुआ सत्य हो जो टीवी चैनल प्राइम टाइम में रो-धो रहे थे। अपनी थीसिस है कि पूरा पाकिस्तान ही कठपुतली है उस धर्म का जिसने पाकिस्तान बनाया! यह हम भारतीयों की मूर्खता है जो सोचते है, बूझते है कि वहां प्रधानमंत्री भला होता है, लौकतंत्र है, लोग भले है इनका भारत से लड़ने का मिशन नहीं है। जबकि हकीकत में पाकिस्तान बना ही भारत से लड़ने के लिए है। वह लड़ता रहेगा। मतलब पाकिस्तान को हरा भी दे तब भी वह लड़ता रहेगा।

इसका अर्थ है कि हमारे जनरल, हमारे एयरचीफ, अपनी बाहुबली सरकार पाकिस्तान से लड़ कर उसे हरा भी दे तब भी टेढ़ी दुम सीधी नहीं होगी। इंदिरा गांधी ने और जनरल मानेकशा ने पाकिस्तानी सेना को हराया, उसका समर्पण कराया। बांग्लादेश बनवाया पर क्या पाकिस्तान सुधरा? उलटे उसके हारे नेताओं ने हजार साल लडने की कसम खा कर एटम बम बना लिया। भारत पर गौरी-गजनी एटमी मिसाईले तान दी।

तभी बुनियादी सवाल है कि सेना अपना कर्तव्य निभाए, जनरल और एयर चीफ लड कर भारत को जीता दे उस सबसे वह कारण खत्म नहीं होगा जिस पर पाकिस्तान बना है और जिससे पाकिस्तान जी रहा है।

तभी अपना तर्क है कि आज के वक्त में, आंतकवाद की वैश्विक आग में पाकिस्तान के लिए सर्वाधिक मारक तरीका उसे वैश्विक जमात में कतर जैसा आंतकी देश बनवाने का है। पाकिस्तान से नाता तोड़े। पाकिस्तान को अछूत बनाए। पाकिस्तान के एटमी जखीके के प्रति दुनिया को जागरूक बनाए। भारत की सेना आमने-सामने की लड़ाई भले लड ले पर पाकिस्तान तो आंतकी है। वहां आंतकी दिनोंदिन पसरते जा रहे है। यह असंभव या नामुमकिन बात नहीं कि कभी कोई आंतकी-मवाली वहां एक एटम बम कब्जा ले या 20-30 साल में अफगानिस्तान-पाकिस्तान इस्लामी स्टेट जैसी शक्ल पा जाए। तब क्या होगा?

सो पाकिस्तान से जंग या पाकिस्तान-चीन दोनों से साथ-साथ लड़ाई के सिनेरियो में सेना की ताकत सिर्फ एक पहलू है। इस पर सोचते हुए आगे की भी सोचनी होगी। दो दुश्मनों से अकेले या एक साथ लड़ाई के बाद क्या? उसके बाद का क्या सिनेरियों है? फिर जान ले पाकिस्तान बार-बार भारत से लड़ने के लिए बना है तो चीन राष्ट्र-राज्य हान सभ्यता के अपने घमंड में भारत के समानांतर- आकार- संख्या आदि में बराबरी से खडे होने के चलते सहज सह-अस्तित्व की एप्रोच में नहीं चलेगा। आधुनिक चीन और उसके नियंताओं ने इसकी गांठ में ही पाकिस्तान को भारत को घायल किए रखने के लिए छोड़ा हुआ है और पाकिस्तान अपने धर्म की जिद्द में गुंथा हुआ है।

तभी अपना अपने शूरवीर थल सेना प्रमुख या एयर मार्शल या बाहुबली सरकार से कहना है कि जंग लडनी भी है तो चुपचाप तैयारी होनी चाहिए। दुनिया और दुश्मन के कान क्यों खडे करें? क्यों भारत दुनिया में आक्रामक तेंवर लिए दिखलाई दिए? पाकिस्तान, चीन की धौंस जब दुनिया देख रही है और आंतक के चलते कतर नाम का देश इस्लामी जमात-दुनिया में अछूत बन रहा है तो क्या वैसी कूटनीति से हम पाकिस्तान को लपेटे में लेने पर फोकस नहीं बनाए? उसके बहिष्कार के सर्जिकल स्ट्राइक नहीं करवाएं?

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