सूरजमुखी की खेती में उर्वरक प्रबंधन

रबी फसल – सूरजमुखी
अन्तर सस्य क्रियायें
अन्त:सस्य क्रियाओं की आवश्यकता पौधे की प्रांरभिक अवस्था में होती है।

सस्य क्रियाओं में विरलन और रिक्त स्थानों को भरना आदि रहता है।

पौधे के विकास के 40-50 दिन तक फसल को खरपतवार से मुक्त रखें।

रबी फसल नींदाओं के प्रति संवेदनशील होते है इसलिए स्वच्छ खेती करें।

उर्वरक प्रबंधन
सूरजमुखी में पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता होती है।

बोनी के पहले 10 से 12 टन कम्पोस्ट या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद को प्रति हेक्टयर की दर से तीन साल में एक बार डालें।

60-80 कि.ग्रा. नत्रजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस और करीब 40 कि.ग्रा. पोटॉश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाले।

उर्वरकों को भूमि में बीज से 2.5 से.मी. नीचे और 5 से.मी. दूर डाले जिससे पौधा इन्हें अच्छी तरह अवशोषित कर सके।

यदि मिट्टी में गंधक,जिंक और बोरॉन की कमी हो तो मिट्टी परीक्षण के आधार पर अनुमोदित मात्रा दें।

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