टमाटर की उन्नत उत्पादन तकनीक

टमाटर की फसल – जलवायु

टमाटर की फसल पाला नहीं सहन कर सकती है। इसकी खेती हेतु आदर्श तापमान 18 से 27 डिग्री से.ग्रे. है। 21-24 डिग्री से.ग्रे तापक्रम पर टमाटर मे लाल रंग सबसे अच्छा विकसित होता है। इन्ही सब कारणो से सर्दियो मे फल मीठे और गहरे लाल रंग के होते है। तापमान 38 डिग्री से.ग्रे. से अधिक होने पर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते है।

भूमि- उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसमे पर्याप्त मात्रा मे जीवांश उपलब्ध हो जाते हैं

टमाटर की किस्में :-

देशी किस्म– पूसा रूबी, पूसा – 120, पूसा शीतल, पूसा गौरव , अर्का सौरभ , अर्का विकास, सोनाली

संकर किस्म– पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड -2, पूसा हाइब्रिड -4, अविनाश-2, रश्मि तथा निजी क्षेत्र से शक्तिमान, रेड गोल्ड, 501, 2535 उत्सव, अविनाश, चमत्कार, यू.एस. 440 आदि।

बीज की मात्रा और बुवाई

बीजदर एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 350 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है। संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है।
बुवाई – वर्षा ऋतु के लिये जून-जलाई तथा शीत ऋतु के लिये जनवरी-फरवरी। फसल पाले रहित क्षेत्रो में उगायी जानी चाहिए या इसकी पाले से समुचित रक्षा करनी चाहिएं।
बीज उपचार– बुवाई पूर्व थाइरम /मेटालाक्सिल से बीजोपचार करे ताकि अंकुरण पूर्व फफून्द का आक्रमण रोका जा सके।

नर्सरी एवं रोपाई

1. नर्सरी मे बुवाई हेतु 1 से 3 मी. की ऊठी हुई क्यारियां बनाकर फोर्मेल्डिहाइड द्वारा स्टेरीलाइजशन कर ले अथवा कार्बोफ्यूरान 30 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिलावें ।
बीज को कार्बेन्डाजिम/ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित कर 5 से.मी. की दूरी रखते हुये कतारो मे बीजो की बुवाई करे। बीज बोने के बाद गोबर की खाद या मिट्टी ढक दे और हजारे से छिडकाव। 
2. बीज उगने के बाद डायथेन एम-45/मेटालाक्सिल छिडकाव 8-10 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
3. 25 से 30 दिन का रोपा खेतो मे रोपाई से पूर्व कार्बेन्डिजिम या ट्राईटोडर्मा के घोल में पौधों की जड़ों को 20-25 मिनट उपचारित करने के बाद ही पौधों की रोपाई करें।
4. पौध को उचित खेत में 75 से.मी. की कतार की दूरी रखते हुए 60 से.मी के फासले पर पौधो की रोपाई करे।
5. मेंड़ों पर चारों तरफ गेंदा की रोपाई करें । फूल खिलने की अवस्था में फल भेदक कीट टमाटर की फसल में कम जबकि गेदें की फलियों / फूलों में अधिक अंडा देते है।

उर्वरक का प्रयोग – 20 से 25 मैट्रिक टन गोबर की खाद/है एवं 200 किलो नत्रजन, 100 किलो फाॅस्फोरस व 100 किलो पोटाश /है।बोरेक्स की कमी हो वहाँ बोरेक्स 0.3 प्रतिशत का छिडकाव करने से फल अधिक लगते है।
सिंचाई – सर्दियों मे 10-15 दिन के अन्तराल से एवं गर्मियों में 6-7 दिन के अन्तराल से हल्का पानी देते रहे। अगर संभव हो सके तो कृषकों को सिंचाई ड्रिप इरीगेशन द्वारा करनी चाहिएं
मिटटी चढाना व पौधों को सहारा देना (स्टेकिंग) – टमाटर मे फूल आने के समय पौधो मे मिटटी चढाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है। टमाटर की लम्बी बढने वाली किस्मो को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है। पौधो को सहारा देने से फल मिटटी एवं पानी के सम्पर्क मे नही आ पाते जिससे फल सडने की समस्या नही होती है।
सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकडी के डंडो मे विभिन्न ऊंचाइयों पर छेद करके तार बांधकर फिर पौधो को तारो से सुतली को बांधते है। इस प्रक्रिया को स्टेकिंग कहा जाता है ।

खरपतवार नियंत्रण-

1. आवश्यकतानुसार फसलो की निराई-गुड़ाई करें। फूल और फल बनने की अवस्था मे निंदाई-गुडाई नही करनी चाहिए।
2. रासायनिक दवा के रूप मे खेत तैयार करते समय फ्लूक्लोरेलिन (बासालिन ) या से रोपाई के 7 दिन के अंदर पेन्डीमिथेलिन छिडकाव करे।

प्रमुख कीट एवं रोग-

प्रमुख कीट – हरा तैला, सफेद मक्खी, फल छेदक कीट एंव तम्बाकू की इल्ली
प्रमुख रोग  आर्द्र गलन या डैम्पिंग आफ, झुलसा या ब्लाइट, फल सड़न

एकीकृत कीट एवं रोग नियंत्रण

1. गर्मीयो मे खेत की गहरी जुताई करे।
2. पौधशाला की क्यारियो भूमि धरातल से ऊची रखें एवं फोर्मेल्डिहाइड द्वारा स्टेरीलाइज़ेशन कर ले
3. क्यारियो को मार्च अप्रेल माह मे पोलिथिन शीट से ढके भू-तपन के लिए मृदा मे पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
4. गोबर की खाद मे ट्राइकोडर्मा मिलाकर क्यारी मे मिट्टी मे अच्छी तरह से मिला देना चाहिए।
5. पौधशाला की मिट्टी को कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल से बुवाई के 2-3 सप्ताह बाद छिडकाव करे।
6. पौध रोपण के समय पौध की जडो को कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा के घोल मे 10 मिनट तक डुबो कर रखे।

7. पौध रोपण के 15-20 दिन के अंतराल पर चेपा, सफेद मक्खी एवं थ्रिप्स के लिए 2 से 3 छिडकाव इमीडाक्लोप्रिड या एसीफेट के करे । माइट की उपस्थिती होने पर ओमाइट का छिडकाव करे।
8. फल भेदक इल्ली एवं तम्बाकू की इल्ली के लिए इन्डोक्साकार्ब या प्रोफेनोफॉस का छिडकाव ब्याधि के उपचार के लिए बीजोपचार, कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब से करना चाहिए। खडी फसल मे रोग के लक्षण पाये जाने पर मेटालेक्सिल + मैन्कोजेब या ब्लाईटोक्स का घोल बनाकर छिडकाव करे। चूर्णी फफूंद होने सल्फर घोल का छिडकाव करे।

फलों की तुड़ाई, उपज एवं विपणन –

जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था मे फलों की तुडाई करें तथा फलो की ग्रेडिंग कर कीट व व्याधि ग्रस्त फलो दागी फलो छोटे आकार के फलो को छाटकर अलग करें। ग्रेडिंग किये फलों को कैरेट मे भरकर अपने निकटतम सब्जी मण्डी या जिस मण्डी मे अच्छा टमाटर का भाव हो वहा ले जाकर बेचें। टमाटर की औसत उपज 400-500 क्विंटल/है. होती है तथा संकर टमाटर की उपज 700 -800 क्विंटल/है. तक हो सकती है ।

टमाटर की प्रति हेक्टेयर कृषि लागत व्यय (रूपये में)

विवरण मात्रा एवं दर प्रति इकाई लागत (रु.)
भूमि की तैयारी
जुताई की संख्या 02, दर 500/- प्रति घंटा 1000
मजदूरों की संख्या 06, दर 150/- 900
खाद एवं उर्वरक
गोबर की खाद 10 टन, 2 वर्ष में एक बार 1000/-प्रति टन, 10000
नत्रजन  200 किलोग्राम दर 12.40/- 2480
फास्फोरस 100 किलोग्राम दर 32.70/- 3270
पोटाश (मृदा परीक्षण के अनुसार ) 100 किलोग्राम दर 19.88/- 1988
मजदूरों की संख्या 20, दर 150/- 3000
पौधो को सहारा देना (स्टेकिंग)
बॉस एवं वायर 31000
मजदूरों की संख्या 20, दर 150/- 7500
बीज की मात्रा 200 ग्राम दर 400/10 ग्राम 8000
बुआई पर मजदूरों की संख्या 15, दर 150/- 2250
सिंचाई संख्या 10 5000
मजदूर 10, दर 150/- 1500
निंदाई
मजदूरों की संख्या 40, दर 150/- 6000
फसल सुरक्षा
ट्राईजोफास 2 बार, दर 450/- 900
इमीडाक्लोप्रिड 2 बार, दर 200/- 400
एसीफेट 2 बार, दर 160/- 320
प्रोफेनोफॉस 2 बार, दर 500/- 1000
मजदूरों की संख्या 16, दर 150/- 2400
तुडाई (मजदूरों की संख्या ) 40, दर 150/- 6000
कुल लागत 88158
कुल आय (औसतन पैदावार 600 क्विंटल प्रति हेक्टयर) 480000
शुद्ध लाभ 391842

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