सरसों की खेती में उर्वरक प्रबंधन

फसल सिफारिश
रबी फसल – सरसों
अन्तर सस्य क्रियायें
समय पर निदाई गुड़ाई से बीज और अनाज दोनों की उपज में वृध्दि होती है।

सरसों के लिए विरलन और खाली स्थानों को बुआई के 15 से 20 दिन में भर देना चाहिए।

फसल की प्रारंभिक अवस्था में खरपतवार के प्रकोप से बचाना चाहिए।

सरसों के पहले खरीफ फसल में कोई नत्रजन लेगयूमिनस फसल को उगाए जिससे लागत कम हो जाती है।

बोनी के 50-60 दिन बाद निचली पत्तियों को हछा देना चाहिए ।

उर्वरक प्रबंधन
अच्छी उपज के लिए फसल को उपयुक्त पोषक तत्व देने चाहिए।

हर तीन साल में खेत को तैयार करते समय, उर्वरक देने के पहले 15-20 टन अच्छी सड़ी हुई खाद को मिट्टी में मिलाये।

असिचिंत स्थितियों में 30 कि.ग्रात्र नत्रजन,20 कि.ग्रा. फास्फोरस और 10 कि.ग्रा. पोटॉश प्रति हेक्टेयर डाले।
या

असिचिंत स्थितियों में 65 कि.ग्रा. यूरिया, 125 कि.ग्रा. सुपरफास्फेट और 17 कि.ग्रा. पोटॉश का मुरेट प्रति हेक्टेयर डाले।
या

असिचिंत स्थितियों में 43 कि.ग्रा. डाइअमोनियम फास्फेट,50 कि.ग्रा. यूरिया, 17 कि.ग्रा. पोटॉश का मुरेट प्रति हेक्टेयर डाले।
सिंचित स्थितियों में बेसल मात्रा
नत्रजन 45 कि.ग्रा./हे
फास्फोरस 30 कि.ग्रा./हे
पोटॉश 20 कि.ग्रा./हे
बाद में पहली सिचाई के समय
नत्रजन 45 कि.ग्रा./हे

2-3 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करें।

गंधक की कमी वाली मिट्टी उपज कम होती है। अच्छी उपज के लिए 20-40 कि.ग्रा गंधक/हे के हिसाब से उपयोग करें।

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