किसान का खेत नही जलता ,घर जलता है , अरमान जलते है,हजारों लोगों के मुह की निवाला जलता

किसान का खेत नही जलता ,घर जलता है , अरमान जलते है,हजारों लोगों के मुह की निवाला जलता

आजकल अखवारों में रोज खबर छाप रही है की फलां जगह आग से कई एकड़ खेत में लगी फसल खाक , साथ ही कुछ लोग , बच्चे आग में झुलस कर मर गये , इसके बाबजूद भी हम जागरूक और सतर्क नही है |

हम सभी जानते है किसान को न ही हर महीने तनखा मिलती है , और न ही कोई

छुट्टी , पर किसान साल भर अपना खून पसीना बहाकर खेत में फसल को उगाता है|

अपनी सभी आशाओं को खेत में बीज की तरह समर्पित कर देता है , विना अनिष्ट , अतिवृष्टि

अल्प वृष्टि की परवाह किये बगैर ,और जब फसल तैयार हो जाती है तो उसके अरमान

पूरे होते दिखाई देते है पर नरवाई में लगी आग कैसे खडी फसल को जला देती है ,साथ ही साथ

उस किसान के सभी अरमान , सभी जरूरतें जलकर खाक हो जाती है |

और कर्ज में दबा किसान और एक साल के लिए अतिरिक्त कर्ज में दब जाता है ,और उस परिवार में

आर्थिक तंगी आ जाती है और परिवार को गहन कष्ट उठाने पड़ते है |

शब्दों द्वारा  उस पीड़ा को व्यक्त करना असंभव है , एक संवेदनशील मनुष्य ही उसे समझ सकता है |

जैसे किसान सारे समाज का पेट भरता है , वो अपना अनाज कम दाम पे बेचता है , फिर भी अपना फायदा नुकसान नही देखता , अपना कर्म करते रहता है | छोटे और सीमांत किसानो की ये हालत है की

अगर लागत  निकाल कर फायदे की बाद करें तो किसान , एक दिहाड़ी मजदूर की कमी के बराबर भी नही कमा पाता और इसके वाबजूद सारा जोखिम उठता है , और अति वृष्टि अल्प वृष्टि , आग के कारण जो छति होती है उसे न सरकार भर पाती है और न समाज |

आग तो अथाह पीड़ा का कारण बनती है , आग के कारणों को जानना जरुरी है जिससे पता लग सके

की बास्तव में अपराधी कौन है |

फसल में आग लगने के कारण क्या है :

  • खेत में आग का कारण बिजली के तार होतें है हवा के कारण तार आपस में टकरा जातें है और जो बृहद आग का कारण बनते है |
  • दूसरा बीडी सिगरेट पीने वाले लोगों की लापरवाही भी इस तबाही का कारण है | विना पूरी तरह बुझी बीडी सुखी फसल में आग की चिंगारी का काम करती है |
  • सबसे बड़ा कुछ किसानो का लालच ,उनकी तीसरी फसल जैसे मूंग की बोनी की जल्दबाजी

जिसके लिए बिना दुसरे किसान की खड़ी फसल की चिंता किये नरवाई में आग लगा देना

|

नरवाई में लगी आग  की चिंगारी कब खड़ी फसल को पकड़ लेती है पता ही नही चलता और

देखते ही देखते सारी फसल जल जाती है , और इस फसल के साथ ही किसान का घर भी जल जाता है , उसके सरे अरमान जल जातें है |

और किसान आर्थिक , मानसिक रूप से व्यथित हो जाता है | और जो लोग इस परिस्थिति के जिम्मेदार होतें है , वो दंडनीय है आर्थिक रूप से और नैतिक तौर से भी क्यूंकि किसी की आजीविका , जीने का साधन छीन लेना गंभीर अपराध है |

सरकार किसान का बीमा का पैसा हर साल काटती है पर मुआबजे के नाम पे लोलीपोप पकड़ा देती है, सरकार को एक तर्कसंगत राशि  देना चाहिए| जिससे कम से कम किसान की मेहनत न सही उसकी लागत का पैसा उसे मिले |

सभी ग्रामीण लोग संवेदनशील रहे जब तक सभी की फसल कट नही जाती कोई भी नरवाई में आग न लगाये न लगाने दे |

नरवाई में आग लगाने से जमीन की उर्वरकता तो घटती है साथ ही साथ पर्यावरण प्रदूषण भी होता है जिससे तापमान ,गर्मी दिन व दिन बढती जा रही है |

सभी से अनुरोध है नरवाई में आग नही लगायें , इससे खेत नही जलते किसान का घर जलता है , अरमान जलते है और  हजारों लोगो के मुह का निवाला जलता है |

आपका मित्र

नवल पटेल

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