योजनाएं विधिक सेवा (विधिक सहायता#सलाह)-विधि और विधायी कार्य

मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत कार्यरत उच्च न्यायलय विधिक सेवा समिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं तहसील विधिक सेवा समितियों द्वारा गरीब, असहाय, पीड़ित एवं अधिनियम के अंतर्गत पात्र व्यक्तियों को समस्त न्यायालयों में उनके विरुध्द चल रहे प्रकरण या उनके द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत किये जाने वाले प्रकरणों में नि:शुल्क विधिक सहायता दी जाती है।

विधिक सहायता#सलाह कौन व्यक्ति प्राप्त कर सकता है

ऐसा व्यक्ति विधिक सहायता# सलाह प्राप्त कर सकता है

1. जो अनूसूचित जाति#जनजाति का है,
2. ऐसा व्यक्ति जो लोगों के दर्ुव्यवहार से पीड़ित है, या जिससे बेगार कराया जा रहा हो।
3. महिला, बालक हो।
4. ऐसा व्यक्ति जो मानसिक रूप से अस्वस्थ्य है या अन्यथा असमर्थ है या निर्योग्य है। निर्योग्य का तात्पर्य है :-

क. अंधापन
ख. कमजोर दिखाई देना
ग. जिसे कुष्ठ रोग है
घ. कम सुनाई देना है
ड. जो चल फिर नहीं सकता
च. जो दिमागी रूप से बीमार हो

5. ऐसा व्यक्ति जो बहुविनाश, जातीय हिंसा या जातीय अत्याचार से सताया गया है, प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप, बाढ़, सूखा आदि से पीड़ित है।
6. ऐसा व्यक्ति जो औद्योगिक कर्मकारी है (फैक्टरी, कंपनी में काम करता है)
7. ऐसा व्यक्ति जो बंदी है।
8. ऐसा व्यक्ति जिसकी वर्षभर की आमदनी 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं है।

किस तरह की विधिक सहायता मिलती है

विधिक सहायता के पात्र व्यक्ति जिसका प्रकरण अदालत में चल रहा हो या चलाना है, उस मामले में लगने वाली :-

1. कोर्ट फीस
2. तलवाना
3. टाइपिंग#फोटोकापी खर्च।
4. गवाह का खर्च
5. अनुवाद कराने में लगने वाला खर्च
6. निर्णय#आदेश तथा अन्य कागजातों की प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करने का पूरा खर्च।
7. वकील फीस

उपरोक्त विधिक सहायता तहसील न्यायालय से लेकर जिलास्तर के सभी न्यायालयों#अधिकारों उच्च न्यायालयों व सर्वोच्च न्यायालय में प्रदान कराई जाती है।

पारिवारिक विवाद समाधान केन्द्र योजना

इस योजना के अंतर्गत परिवार के सदस्यों के मध्य उत्पन्न विवाद जैसे पारिवारिक सम्पत्ति, भरण पोषण, बच्चों की सुरक्षा#देखभाल आदि विवादों का निपटारा किया जाता है इस प्रकार के पारिवारिक विवादों का निदान सद्भावपूर्ण वातावरण में आपसी समझौते के आधार पर जिला एवं तहसील स्तर पर स्थापित पारिवारिक विवाद समाधान केन्द्रों द्वारा कराया जाता है। इस संबंध में जिले में पदस्थ जिला विधिक सहायता अधिकारी को आवेदन दिया जा सकता है। इन केन्द्रों द्वारा कराया गया समझौता गुप्त रखा जाता है जिससे परिवार के सम्मान में ठेस नहीं पहुंचती है।

जिला विधिक परामर्श केन्द्र योजना

प्रत्येक जिले में जिला न्यायालय परिसर में स्थापित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय में जिला विधिक परामर्श केन्द्र कार्यरत है। जिला विधिक परामर्श केन्द्र द्वारा ऐसे व्यक्तियों को जो अशिक्षा व अज्ञानता के कारण अपने कर्तव्य व अधिकार नहीं जानते तथा अपने कानूनी एवं वैधानिक अधिकारों की जानकारी से वंचित रहते हैं। या जिन्हें किसी विधिक परामर्श देकर उनकी समस्याओं का निदान किया जाता है।

मजिस्ट्रेट न्यायालयों में विधिक सहायता अधिवक्ता योजना

यह योजना प्रत्येक जिला एवं तहसील स्तर पर स्थापित मजिस्ट्रेट न्यायालयों में लागू है। इसके अंतर्गत मजिस्ट्रेट न्यायालयों में निरुध्द बंदियों को रिमाण्ड प्रकरणों में पैरवी करने एवं जमानत के लिए आवेदन देने हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा नि:शुल्क अधिवक्ता नियुक्त किया जाकर विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। कोई भी व्यक्ति स्वत: या अपने रिश्तेदार द्वारा न्यायालय में बैठे मजिस्ट्रेट अथवा जिला विधिक सहायता अधिकारी को आवेदन देकर सहायता प्राप्त कर सकता है।

लीगल क्लीनिक

यह क्लीनिक मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय की मुख्य पीठ जबलपुर एवं उसकी दोनों खण्डपीठ इन्दौर एवं ग्वालियर में कार्यरत है जिसमें उच्च न्यायालय भवन में निर्धारित स्थान पर प्रतिदिन कार्य दिवस में नियत योग्य अभिभाषक बैठकर लोगों को उनकी समस्याओं के बारे में मुफ्त कानूनी सहायता और सलाह देते है।

श्रमिकों के विरुध्द अपराध – प्रकोष्ठ

श्रम, विधियों के प्रभावकारी क्रियान्वयन, श्रमिक कामगारों की सुरक्षा, उन्हें निर्धारित मजदूरी दिलाने, महिला कामगारों के प्रति भेदभाव एवं उन्हें लैंगिक प्रताड़ना से रोकने तथा बच्चों को श्रमिक के रूप में कार्य करने से रोकने के संबंध में एवं हितग्राही को न्याय दिलाने के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में ‘श्रमिकों के विरुध्द अपराध-प्रकोष्ठ’ का गठन किया गया है। कोई भी पीड़ित श्रमिक जिसके विरुध्द अन्याय या अत्याचार हो रहा है या उसे समान मजदूरी न देकर भेदभाव किया जा रहा है, वह न्याय प्राप्त करने एवं अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए उक्त प्रकोष्ठ में जाकर आवेदन दे सकता है।

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