जिस देश का किसान नंगा हो वो सुपर पावर बनेगा ?

 

भारत में रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि “सबसे बड़ा आर्थिक सुधार तब होगा जब किसान शहरों में आ जाएंगे, क्योंकि शहरों में सस्ते मज़दूरों की ज़रूरत है”|

किसानों की मांगें अभी पूरी नहीं हुई हैं लेकिन इन लोगों ने वो कर दिखाया जो किसान आंदोलन में बीते 30-40 सालों में देखने को नहीं मिला है|

लेकिन महानगरों में रहने वाले मिडिल क्लास को ये ड्रामा लगता रहा. आपसी चर्चा में लोग ये भी कह रहे थे कि पता नहीं ये लोग कौन हैं, कहां से आ गए हैं. सरकार के सामने इस तरह के नाटक करने की क्या ज़रूरत है.

फिर भी इन किसानों की कोई नहीं सुन रहा

हमारा मिडिल क्लास इसी नज़रिए से दुनिया को देखता है, उसे केवल अपनी सुख सुविधाओं से मतलब है और बाक़ी दुनिया भाड़ में जाए.

इन किसानों की मांगों पर बहस हो सकती है, वे कितने तार्किक हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात ये थी कि ये किसान कर्ज में डूबे किसान है  .

पंजाब में भी आत्महत्याएं

उनकी एक फसल बर्बाद हो चुकी है और कर्जे से उबरने का उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा है. इतना ही नहीं, लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी बात सत्ता प्रतिष्ठानों तक पहुंचाने के लिए कितना दम लगाना पड़ता है, इसकी झलक भी इन किसानों के प्रदर्शन से समझा जा सकता है.

कहने को कहा जा सकता है कि जब सूखा नहीं था तब उन्होंने कर्जे की रकम क्यों नहीं वापस की. लेकिन ये भी देखना होगा कि वे इस हाल में पहुंच गए हैं कि जंतर मंतर पर दो किसान आत्महत्या करने को तैयार नज़र आए.

और ये कोई तमिलनाडु के किसानों की समस्या नहीं है. पंजाब का उदाहरण भी देखना होगा. पंजाब की जमीन दुनिया के सबसे ऊपजाऊ ज़मीन मानी जाती है.

krishi news farmers movement in india

98 फ़ीसदी खेतों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, बावजूद इसके आए दिन वहां किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं. वहां का किसान भी कर्जे के चलते आत्महत्या कर रहा है. क्योंकि खेती से होने वाली उसकी आमदनी लगातार कम हो रही है और लागत बढ़ती जा रही है.

ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कृषि डाउनमार्केट चीज़ हो गई है. देश की राजनीति के एजेंडे में अब खेती किसानी कहीं नहीं है.

किसानों को शहर में लाने की तैयारी

अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियों में ये लगातार कहा जा रहा है कि जब तक खेती से लोगों को बाहर नहीं निकाला जाएगा, तब तक आर्थिक विकास नहीं होगा.

देश के नीति निर्धारकों की कोशिश 40 करोड़ लोगों को गांव से बाहर निकालकर शहरों में पहुंचाना है. यही लक्ष्य मनमोहन सिंह के समय के सरकार में था और यही लक्ष्य नरेंद्र मोदी के समय में है.

farmers bad condition

वर्ल्ड बैंक ने हमें इसके लिए 2015 तक समय दिया था, हम वो पूरा नहीं कर पाए हैं. लिहाजा हमारी सरकारें वर्ल्ड बैंक के दबाव में हैं. सरकारी तंत्र का उद्देश्य यही है कि किसान ऐसी हालात में पहुंच जाएं कि वो खेती छोड़ दें और दिहाड़ी मज़दूर बनने शहरों में आए.

भारत में रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि सबसे बड़ा आर्थिक सुधार तब होगा जब किसान शहरों में आ जाएंगे, क्योंकि शहरों में सस्ते मज़दूरों की ज़रूरत है.

अभी देश में 52 फ़ीसदी आबादी खेती किसानी में लगी हुई है. भारत सरकार के स्किल डेवलपमेंट ने अगले पांच साल का लक्ष्य बनाया है, कि इस आबादी को 38 फ़ीसदी तक लाना है. यानी हम वर्ल्ड बैंक के दिए गए लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में लगे हुए हैं.

सबका साथ, सबका विकास

ऐसे में किसानों की समस्याएं और उसका निदान सरकार नीतियों में हाशिए पर खिसकता जा रहा है. सरकार का पूरा ध्यान कॉरपोरेट जगत पर है, उसके कर्जे को माफ़ करने में सरकार को कोई मुश्किल नहीं है, लेकिन किसानों के कर्जे माफ़ करने के लिए सरकार के पास ढेरों बहाने हैं.

हालांकि कर्ज़ माफ़ करना भी किसानों की समस्या का हल नहीं है. जरूरत इस बात की है कि किसानों की आमदनी बढ़ाई जाए.

bad condition of india farmer

इसके लिए फौरी तौर पर यही तो होना चाहिए कि किसानों के लिए सरकार 23 फ़सलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है, इसी मूल्य पर किसानों के फसल को ख़रीदा जाए. इससे भी हालात बहुत बेहतर हो सकते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि सबका साथ, सबका विकास. उसमें किसान कहां है, ये उन्हें देखना होगा. क्योंकि जिस देश का किसान भूखा नंगा होगा, वो देश कैसे सुपरपावर हो सकता है.

 

 

Related Posts

प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना (PM Surya Ghar Scheme) मुफ्त बिजली योजना
  • March 18, 2024

प्रधानमंत्री श्री…

Read more

Continue reading
भविष्य के लिए कृषि: इन्टरनेट ऑफ थिंग्स तथा आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से डिजिटल कृषि को प्रोत्साहन प्रदान करना
  • March 18, 2024

दूरसंचार इंजीनियरिंग…

Read more

Continue reading

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

जैविक खेती

तुलसी की खेती से किसान कमा रहे लाखों

  • October 24, 2018
  • 49 views
तुलसी की खेती से किसान कमा रहे लाखों

खेत का प्राकृतिक टॉनिक – हरी खाद

  • June 3, 2017
  • 35 views
खेत का प्राकृतिक टॉनिक – हरी खाद

खेती उजाड़ता कृषि प्रधान भारत

  • March 3, 2017
  • 66 views
खेती उजाड़ता कृषि प्रधान भारत

रवि विपणन सीजन 2017-18 में 330 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य

  • February 25, 2017
  • 53 views
रवि विपणन सीजन 2017-18 में 330 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य

सरकारी योजनाओ व कार्यक्रमों की किसानो के लिए मार्गदर्शिका

  • February 21, 2017
  • 53 views
सरकारी योजनाओ व कार्यक्रमों की किसानो के लिए मार्गदर्शिका

कीड़े-मकोड़े फसल की पैदावार को अत्यधिक क्षति पहुँचाते हैं

  • February 15, 2017
  • 48 views
कीड़े-मकोड़े फसल की पैदावार को अत्यधिक क्षति पहुँचाते हैं