मिर्च की फसल में लगने वाले रोगों के बचाव के उपाय

मिर्च की खेती इस बार दगा दे रही है। कीटों का प्रकोप फसल को उखाड़ने के लिए किसानों को बाध्य कर रहा है। कीटों की पहचान और उनसे नुकसान के अलावा बचाव का उपाय सुझा रहे हैं कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कॉलेज के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ.आरपी सिंह।

थ्रिप्स :

कीट का रंग हल्का पीला होता है। मादा कीट 50-60 अंडे देता है। इनकी वजह से पौधे की दैहिक क्रिया मसलन प्रकाश संश्लेषण, श्वसन, वाष्पोत्सर्जन, भोज्य पदार्थो के स्थानांतरण में बाधा पहुंचती है।

रोग की पहचान : पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ जाती हैं। पत्तियां पीली पड़ कर सूखने भी लगती हैं।

बचाव के उपाय : रोग का लक्षण देखते ही पीड़ित पौधे को उखाड़ कर फेंक दें। खेत को खरपतवार से मुक्त रखें। इमिडाक्लोप्रिड 200 एमएल की दस लीटर पानी अथवा क्लोरफेनापायर की दो मिली लीटर पानी की दर से दो-तीन छिड़काव 12-15 दिनों के अंतराल पर करें।

पीली माइट : यह पीले रंग का कीट है। पीठ पर सफेद धारियां होती हैं।

रोग की पहचान : पत्तियां नीचे मुड़ जाती हैं। देखने में सिकुड़ी लगती हैं। कीट का प्रौढ़ तथा शिशु दोनों हानि पहुंचाते हैं।

बचाव के उपाय : कीट से प्रभावित पौध को एकत्र कर नष्ट कर दें। खेत को खरपतवार से मुक्त रखें। प्रोपाइगाठ 57 ईसी की 3.5 एमएल एक लीटर पानी में घोल बनाएं अथवा घुलनशील सल्फर दो ग्राम एक लीटर पानी में घोल बना कर 15 दिनों के अंतराल में दो-तीन छिड़काव करें।

शीर्षारंभी रोग/फल सड़न : पौधों की टहनियां सूख जाती हैं। फल सड़ने लगता है। पौधे बौने रह जाते हैं।

बचाव के उपाय : क्लोरोथैलोनिकल 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी दो ग्राम एक लीटर पानी में घोल बनाएं अथवा विटरटेनॉल 25 प्रतिशत चूर्ण दो ग्राम एक लीटर पानी में घोल बना कर दो-तीन छिड़काव 10-12 दिनों के अंतराल पर करें।

पत्ती मरोड़क : यह रोग विषाणु के जरिये होता है। रोग का फैलाव सफेद मक्खी से होता है।

रोग की पहचान : पत्तियां सिकुड़ जाती हैं। पौधा झाड़ीनुमा दिखने लगता है। प्रभावित पौधों में फल नहीं लगते।

बचाव के उपाय : प्रभावित पौधों को उखाड़ दें। खरपतवार साफ करें। तीन एमएल इमिडाक्लोप्रिड आठ-दस लीटर पानी में घोल तैयार कर दो-तीन छिड़काव करें।

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