कृषि रसायन (एग्रो केमिकल्स) खरीदी में लुट रहे किसान , मुनाफाखोर कमा रहे पैसा


शहर सहित जिलेभर की कीटनाशक दवा दुकानों में होने वाले करोड़ों रूपए के एग्रो केमिकल्स के कारोबार में विभागीय आला अफसरों व उनकी मैदानी टीम का मानो कोई नियंत्रण नहीं रहता है। कीटनाशक विक्रेताओं द्वारा किसानों को मनमाने दामों पर नकदी व उधार से कारोबार हर साल उन्हें छला जा रहा हैं। कीट व्याधि व रोगों से फसलों को बचाने खरीफ व रबी सीजन में यह कीटनाशक दवा दुकानदारों के बीच चलता है।

दरअसल कृषि विभाग को गुण नियंत्रण अधिकार का सरकार ने दे रखा है। जिसके अनुसार हार्वेष्टीसाइड की नियमित जांच कराना जरूरी होता है।
इसकी नियमित व समय-समय पर जांच कराना आवाश्यक होता है। ताकि बाजार में जो खरपतवार नाशक रासायनिक दवाईयां, स्प्रे बेचा जा रहा है उनकी क्वालिटी वास्तव में किस स्तर की है। अगर अमानक स्तर की दवाईयां पाई जाती हैं तो संबंधित विक्रेताओं के खिलाफ छापेमार कार्रवाई करने जांच रिपोर्ट आने के बाद संबंधित कृषि एग्रो केमिकल्स के मामले में उचित कार्रवाई की जाती है। खरीफ सीजन में भी रबी सीजन की तुलना में दो से चार गुना यह कारोबार अधिक होता है। लेकिन जिस स्तर पर यह कारोबार हो रहा है उसके हिसाब से न तो सेम्पलिंग न ही कालाबाजारी रोकने के लिए उपाय सुनिश्चित कराए जाते।
हरेक दुकान के अलग-अलग दाम …
अगर हम कुछ किसानों की मानें तो बीज और कीटनाशक दवाईयों के मनमाने रेट कई कीटनाशक दवा दुकानदारों द्वारा अपने से निर्धारित करके मुनाफाखोरी की जाती है। एक ही कम्पनी के उत्पाद बेचने वाले अलग-अलग रेट पर यह व्यापारी आखिर क्यों बेच रहे हैं?वास्तव मेें यह जांच पड़ताल का विषय है। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि उक्त सामग्री को मनमाने ढंग से कमी का हउआ खड़ा करके भी किसानों को मनमाफिक कीमत पर खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। अक्सर यह देखने में आता है कि फसलों की बुआई के वक्त सरकारी केंद्रों मेें किसानों को बीज, कल्चर और कीटनाशक दवाईयां नहीं मिलती।


जैसा की दरअसल साल भी खरीफ सीजन के समय में भी इन सरकारी केंद्रों और सहकारी कृषक सेवा केंद्रों पर आवाश्यकता के अनुसार बीज की उपलब्धता नहीं थी। 90 फीसदी किसान सिर्फ अनाज व्यापारियों सहित अन्य व्यापारियों पर निर्भर रहे और मजबूरी में उन्होंने सोयाबीन, धान व अन्य बीज मनमाने दामों में इनसे खरीदकर ही बोवनी की थी।बाजार से खरीदकर बोए गए घटिया बीज के दुष्परिणाम भी अब किसानों के सामने आने लगे हैं।


सैम्पल परीक्षण में लग जाते हैं महीनों
जिला कृषि विभाग के पास एक समस्या खाद-बीज और कीटनाशक दवाईयों की गुणवत्ता संबंधित जांच पड़ताल क राने की भी जिम्मेदारी है। दरअसल जिला मुख्यालय पर एक भी जांच प्रयोगशाला नहीं है। जहां कृषि आदानों के गुणवत्ता की जांच कराई जा सके। कभी कभार कृषि विभाग का मैदानी अमला यदि जब कोई जांच कार्रवाई को अंजाम देता है तो उसकी जांच कराए जाने के लिए जिले के बाहर सैम्पलों को भेजना पड़ता है। लिहाजा विश्लेषित किए जाने वाले कृषि आदान की रिपोर्ट आने में लंबा समय लग जाता है। जिससे उन किसानों को पूरी तरह से फायदा नहीं मिल पाता। जो घटिया खाद बीज व कीटनाशकों, खरपतवारों को नष्ट करने के लिए इनका बडे पैमाने पर इस्तेमाल करने से फसलों से हाथ धो बैठते हैं।


हम जल्द ही शिकायत मिलने पर कृषि विभाग की टीम को जांच कार्रवाई करने मौके पर भेजते हैं। अमानक स्तर के खाद बीज व कीटनाशकों की बाजार में बिकने से रोकने टीम को हम जल्द ही निर्देश देकर दुकानों पर छापेमार कार्रवाई कराएंगे । इन सैम्पलों की जांच रिपोर्ट आने के बाद नियम अनुसार जुर्माने व लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई की जाएगी।
एनपी सुमन, उप संचालक कृषि अधिकारी रायसेन।

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