राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम-मध्यप्रदेश

यह योजना भारत सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005’ के तहत संचालित है, जिसमें अकुशल मजदूरों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी गई है।

योजना का उद्देश्य- ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले परिवारों के अकुशल श्रम (मजदूरी) करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों की आजीविका सुरक्षा बढ़ाना इस योजना का उद्देश्य है। यह योजना झाबुआ, मण्डला, उमरिया, शहडोल, बड़वानी, खरगोन, शिवपुरी, सीधी, टीकमगढ़, बालाघाट, छतरपुर, बैतूल, खण्डवा, श्योपुर, धार, सिवनी, डिण्डौरी, सतना, अनूपपुर, अशोक नगर, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, दतिया, दमोह, देवास, गुना, हरदा, कटनी, पन्ना, राजगढ़ और रीवा सहित मध्यप्रदेश के 31 जिलों में लागू है।

योजना के पात्र- ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक परिवार के वयस्क सदस्य।

योजना क्रियान्वयन प्रक्रिया- इच्छुक परिवार को ग्राम पंचायत में परिवार का पंजीयन कराना होगा। पंजीकृत परिवार को ग्राम पंचायत नि:शुल्क जॉबकार्ड प्रदान करेगी। जॉबकार्ड धारक द्वारा रोजगार का आवेदन करने पर 15 दिवस के अंदर रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा। इस अधिनियम के अंतर्गत महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेगी।

योजना के तहत मजदूरी- मजदूरी, श्रमायुक्त द्वारा कृषि श्रमिकों के लिये निर्धारित दर से अथवा केन्द्र सरकार द्वारा इस अधिनियम के लिये निर्धारित दर से नगद दी जायेगी। मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक किया जावेगा, किसी भी परिस्थिति में यह 15 दिन से ज्यादा देरी से नहीं होगा।

योजना की विशिष्टता- बेरोजगारी भत्ता- यदि किसी आवेदक को 15 दिन के भीतर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो उसे बेरोजगारी भत्ते की पात्रता होगी। बेरोजगारी भत्ता पहले 30 दिनों के लिये न्यूनतम मजदूरी की एक चौथाई तथा शेष दिनों के लिये न्यूनतम मजदूरी के आधे की दर से दिया जायेगा। कार्यस्थल पर सुविधायें- पीने के पानी, छोटी-मोटी तकलीफों के लिये दवाएँ तथा कार्यस्थल पर मजदूरों के 6 वर्ष से कम आयु के कुल 5 से अधिक बच्चे होने पर झूलाघर की व्यवस्था की जायेगी। दुर्घटना क्षतिपूर्ति- किसी मजदूर की काम के दौरान मृत्यु होने अथवा स्थायी रूप से अपंग होने पर 25000/- तक या राज्य शासन द्वारा निर्धारित राशि का भुगतान किया जायेगा।

योजना के कार्यों का स्वरूप- हितग्राहीमूलक विकास कार्य- योजना के तहत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों या गरीबी रेखा से नीचे के परिवार या भूमि सुधार के हिताधिकारियों या इंदिरा आवास योजना के हिताधिकारियों की स्वयं की कृषि भूमि के लिये सिंचाई सुविधा, बागवानी और भूमि विकास सुविधा के कार्य किये जायेंगे।

नंदन फलोद्यान योजना- पर्यावरणीय स्थिरता और ग्रामीणों के लिये आय सृजन का स्थायी स्रोत उपलब्ध कराने के लिये संचालित की गई। योजना के तहत ऐसे हितग्राही जो अपनी निजी भूमि पर उद्यानिकी प्रजाति का वृक्षारोपण करने के लिये इच्छुक हैं उनको रोजगार की माँग के साथ ग्राम पंचायत में आवेदन करना होगा। ग्राम पंचायत प्राप्त प्रस्तावों को ग्राम सभा में प्रस्तुत करेगी। ग्रामसभा वृक्षारोपण की सिंचाई हेतु पर्याप्त व्यवस्था वाले प्रस्तावों को प्रथम प्राथमिकता और जिनके पास सिंचाई व्यवस्था नहीं है उनको सशर्त द्वितीय प्राथमिकता क्रम में रखेगी, जिसमें कपिलधारा योजना के प्रावधानों के तहत सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना शामिल होगा। परियोजना के लिये राशि की कोई सीमा बंधनकारी नहीं है।

कपिलधारा योजना- कृषि उत्पादन में सुनिश्चितता और कृषकों की आजीविका में गुणात्मक सुधार के लिये कपिलधारा योजना संचालित की गई है। योजना के तहत हितग्राही परिवार को कृषि भूमि हेतु सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। योजना में नवीन कुंआ-भूजल पुनर्भरण की व्यवस्था के साथ, खेत-तालाब, मैसेनरी चैक डेम, स्टाप डेम, आर.एम.एस. और लघु तालाब निर्माण का प्रावधान है। योजना के तहत ऐसे हितग्राही परिवार का चयन किया जायेगा, जिनके स्वामित्व वाली कृषि भूमि में पानी का स्रोत उपलब्ध नहीं है। हितग्राही परिवार का एक सदस्य न्यूनतम पाँचवीं कक्षा पास होना अनिवार्य है, किन्तु सहरिया, बैगा, भारिया जनजातियों के लिये यह मानदण्ड लागू नहीं होगा। योजना से लाभान्वित होने के लिये हितग्राही को ग्राम पंचायत में आवेदन देना होगा, इसमें प्रस्तावित कार्य के आकार का भी अनुमानित विवरण देना होगा। प्राप्त प्रस्तावों का ग्राम पंचायत की बैठक में अनुमोदन किया जायेगा, जिसका जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत द्वारा अनुमोदन कराया जाना अनिवार्य है।

सामुदायिक विकास कार्य- योजना के तहत श्रममूलक सामुदायिक विकास कार्य के प्रावधान किये गये हैं। इसके तहत जल संरक्षण एवं संवर्धन, सूखा रोकने, वनरोपण/वृक्षारोपण, सिंचाई हेतु नहरें, लघु एवं माध्यम सिंचाई कार्य, परम्परागत बाढ़ नियंत्रण/सुरक्षा, जल जमाव क्षेत्रों में जल निकासी और बारह मासी सड़कों के रूप में ग्रामीण सड़क सम्पर्क के कार्य किये जाने का प्रावधान है।

योजना में हितग्राही को लाभ- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, गरीबी रेखा से नीचे के परिवार, भूमि सुधार के हितग्राही और इंदिरा आवास योजना के अधीन हितग्राहियों को स्वयं की कृषि भूमि के लिये सिंचाई सुविधा, बागवानी और भूमि विकसित करने का अधिकार। एक वित्तीय वर्ष में किसी भी अवधि में 100 दिवस का रोजगार प्राप्त करने का अधिकार। कार्य नहीं मिलने पर बेरोजगारी भत्ते का अधिकारी। कार्यस्थल पर दुर्घटना होने पर क्षतिपूर्ति का अधिकारी। मजदूरी नगद मिलने का अधिकार।

इंदिरा आवास योजना

उद्देश्य- ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले आवासहीन परिवारों को आवास सुविधा उपलब्ध करवाना।

योजना का स्वरूप- योजना केन्द्र प्रवर्तित है जिसमें 75 प्रतिशत राशि भारत सरकार द्वारा तथा 25 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। जिलेवार राशि का निर्धारण भारत सरकार द्वारा किया जाता है। आवासों का निर्माण स्वयं हितग्राही ग्राम पंचायत द्वारा उपलब्ध राशि से किया जाता है। आवास का कुर्सी क्षेत्र (कारपेट क्षेत्र) 20 वर्गमीटर होना आवश्यक है। योजना के संसाधनों का 60 प्रतिशत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, 40 प्रतिशत सामान्य वर्ग और 3 प्रतिशत का नि:शक्तजनों के आवासों के लिए उपयोग करने का प्रावधान है।

इंदिरा आवास योजना में प्राथमिकता महिला तथा विकल्प के तौर पर संयुक्त पति-पत्नी के नाम आवास के साथ स्वच्छ शौचालय और धुआँ रहित चूल्हे का निर्माण भी अनिवार्य है।

पात्र हितग्राही- ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले आवासहीन परिवार।

हितग्राही चयन प्रक्रिया- योजना के तहत हितग्राहियों का चयन ग्राम सभा द्वारा किया जायेगा। मुक्त बंधुआ मजदूर अजा/अजजा परिवार, युद्ध में मारे गए सैनिक/अर्द्ध सैनिक बलों कीे विधवाओं, विकलांग एवं मंदबुद्धि व्यक्ति, एक्स सर्विस मेन एवं अर्द्ध सैनिक बलों के सेवा निवृत्त सदस्य, विकास परियोजना के विस्थापित परिवार प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकम्प, आग आदि से पीड़ित परिवार को प्राथमिकता दी जायेगी।

संपर्कस्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायत के सरपंच और जिला स्तर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत।

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना

उद्देश्य- गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के स्व-सहायता समूहों में संगठित कर स्वरोजगार के लिए ऋण और अनुदान उपलब्ध करवाकर उपयुक्त अवधि में गरीबी रेखा से ऊपर लाना।

योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- योजना संपूर्ण मध्यप्रदेश में लागू।

पात्र हितग्राही- गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले चयनित परिवार इस योजना के तहत सहायता के लिए पात्र है।

हितग्राही चयन- ग्राम सभा द्वारा।

 

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