लोक वानिकी के माध्यम से ग्रामीणों और पंचायतों की आय-वन

उद्देश्य- निजी तथा राजस्व भूमि पर खड़े वनों तथा पड़ती भूमि की उत्पादकता बढ़ाकर भूमि स्वामियों और पंचायतों को नियमित आय सुनिश्चित करवाना।

पात्र हितग्राही- 1. निजी भूमि पर खड़े वनों/वृक्ष आच्छादित क्षेत्रों, पड़ती भूमि का वैज्ञानिक प्रबंधन करने के इच्छुक भूमि स्वामी। 2. जिन पंचायतों के क्षेत्र में राजस्व विभाग के बड़े झाड़-छोटे झाड़ के जंगल/पड़ती जमीन हो और उस पर वानिकी विकास करने के इच्छुक हो।

योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया- योजना का क्रियान्वयन वन विभाग और राजस्व विभाग के सहयोग से किया जाता है। वन विभाग क्रियान्वयन में नोडल भूमिका निभाता है।

संपर्क- वन मंडलाधिकारी (क्षेत्रीय) से संपर्क किया जा सकता है।

ग्रामीणों को निस्तार सुविधाएं

उद्देश्य- प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय वनों से निस्तार सुविधाएं उपलब्ध करवाना।

योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- 1. निस्तार नीति में रियायत की सुविधा वनों की सीमा से 5 किलोमीटर की परिधि के ग्रामों को होती है। इन ग्रामों को उपलब्धता के आधार पर वनोपज का प्रदाय वन समितियों के माध्यम से किया जाता है। जिन ग्रामों में वन समिति गठित नहीं है, वहां विभागीय निस्तार डिपो से वनोपज का प्रदाय किया जाता है। 2. वन सीमा से 5 किलोमीटर की परिधि के बाहर स्थित ग्रामों को उपलब्धता के आधार पर पूर्ण बाजार मूल्य पर ग्राम पंचायत के माध्यम से वनोपज उपलब्ध करवायी जाती है। 3. नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र के निवासी स्थानीय बाजार से वनोपज प्राप्त कर सकते हैं। 4. स्वयं के उपयोग अथवा बिक्री के लिये सिरबोझ द्वारा उपलब्धता के अनुसार गिरी, पडी, मरी और सूखी लकड़ी लाने की सुविधा है।

वन्य-प्राणियों द्वारा जन हानि करने पर क्षतिपूर्ति

उद्देश्य- वन्य जीवों द्वारा हमला होने पर सहायता।

योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र तथा क्रियान्वयन- योजना में वन्यप्राणियों के हमले से किसी व्यक्ति के घायल या मृत होने पर आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान है।

प्रभावित घायल या मृत व्यक्ति के वैधानिक प्रतिनिधि सक्षम शासकीय चिकित्सक के प्रमाण-पत्र के आधार पर निम्नानुसार क्षतिपूर्ति पा सकते हैं-

1. मृत्यु हो जाने पर 50 हजार रुपये तथा इलाज पर हुआ व्यय।

2. घायल होने पर रुपये 10,000 (अधिकतम)

3. स्थायी रूप से अपंग होने पर रुपये 37500 एवं इलाज पर हुआ व्यय।

4. घायल होने पर तात्कालिक सहायता 500 रुपये तथा मृत्यु होने पर रुपये 1000/- तत्कालिक आर्थिक सहायता परिवारजनों को देने का प्रावधान है, जो कुल क्षतिपूर्ति में समायोजित की जायेगी। योजना संपूर्ण प्रदेश में लागू है।

विशेष- सादे आवेदन में घटना की लिखित जानकारी तत्काल समीपस्थ वन अधिकारी को देना अनिवार्य है।

वन्य-प्राणियों द्वारा निजी मवेशी/पशुओं को मारे जाने पर सहायता

योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- वन्य प्राणियों द्वारा घरेलू निजी पशुओं को मारे जाने पर पशु मालिकों को अधिकतम 5000 रुपये प्रति मवेशी आर्थिक सहायता उपलब्ध करवायी जाती है। योजना संपूर्ण मध्यप्रदेश में लागू है।

योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया- सहायता पाने के लिये यह आवश्यक है कि- 1. निजी पशु मारे जाने पर सूचना समीप के वन अधिकारी को घटना के 48 घंटे के अंदर दी गई हो। 2. मारे गये मवेशी/पशु को मारे गये स्थान से नहीं हटाया गया हो तथा उसके शरीर पर किसी प्रकार का लेप नहीं किया गया हो या उसके घाव पर विष न भर दिया गया हो। 3. मवेशी के मारे जाने की घटना का सत्यापन, वन विभाग के अधिकारी, जो कम से कम वन परिक्षेत्राधिकारी के पद का हो, द्वारा किया गया हो। साथ ही यह भी प्रमाणित किया गया हो कि मवेशी- शेर, तेंदुए, जंगली कुत्ते, जंगली हाथी द्वारा मारा गया है।

संपर्क- प्रकरण की सूचना मालिक द्वारा लिखित रूप में निकटतम वन अधिकारी को दी जाने चाहिए।

तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिये सामाजिक सुरक्षा समूह बीमा योजना

उद्देश्य- तेंदूपत्ता संग्राहकों की मृत्यु होने की स्थिति में आश्रितों/परिवारजनों को आर्थिक सहायता के रुप में।

योजना का स्वरूप और कार्यक्षेत्र- नामांकित व्यक्ति को 3500 रुपये प्रदाय किये जाते हैं। दुर्घटना के कारण मृत्यु होने की स्थिति में 25 हजार रुपये उत्तराधिकारियों को प्राप्त होता है। यदि कोई संग्राहक दुर्घटना के कारण आंशिक रूप से विकलांग हो जाता है, तो उस स्थिति में 12,500 रुपये और पूर्ण विकलांग होने पर उसे या उसके उत्तराधिकारी को रुपये 25 हजार की राशि उपलब्ध कराई जाती है। यह योजना संपूर्ण प्रदेश में लागू है। मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा तेंदुपत्ता संग्राहकों का बीमा कराया जाता है।

पात्र हितग्राही- 18 से 60 वर्ष के बीच की आयु के सभी तेंदुपत्ता संग्राहक।

सम्पर्क- संबंधित लघु वनोपज समिति।

औषधीय पौधों के माध्यम से आर्थिक लाभ

उद्देश्य- औषधीय पौधों की खेती एवं विपणन को बढ़ावा देना।

योजना का स्वरूप व कार्य क्षेत्र- प्रोजेक्ट लागत की 30 प्रतिशत या रुपये 9.00 लाख जो भी कम हो, तक का वित्तीय अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। योजना का कार्यक्षेत्र संपूर्ण प्रदेश है।

हितग्राही चयन प्रक्रिया- कृषकों, उद्यमियों शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं से प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण राज्य औषधि पौधा बोर्ड द्वारा किया जाता है। चयनित प्रस्ताव राष्ट्रीय औषधीय पौधा बोर्ड को वित्तीय अनुदान स्वीकृति हेतु प्रेषित किये जाते हैं।

पात्र हितग्राही- संपूर्ण मध्यप्रदेश राज्य के कृषकों, उद्यमियों शासकीय एवं अशासकीय संस्थायें।

संपर्क- अपर प्रबंध संचालक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य औषधी पौधा बोर्ड कार्यालय म.प्र. राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ, इंदिरा निकुंज नर्सरी, खेल परिसर, 74 बंगले, भोपाल (म.प्र.)।

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